02

Are you mad..?

अब आगे ......

अलफॉर्म एंपायर.....

" अअह्ह्ह्हह..... आह्ह्ह्ह ऋदम.... अह्ह्ह्ह्......| "

अपने गाल पर बेरहमी से सरक रही ऋदम के हाथ को हटाने की, ना काम कोशिश करते हुए कसक दर्द से चिल्ला उठी |

आशुतोष के जाते ही ऋदम कसक के गाल को बुरी तरह बस मसलते जा रहा था , जैसे वह कसक के गाल पर से आशुतोष के चुअन को पूरी तरह हटाना चाह रहा हो,उसे बिलकुल बर्दाश्त नही था की कसक को कोई छुए,और यह बात कसक भी अच्छे तरह से जानती थी |

दर्द से करहाते हुए कसक बस रोए जा रही थी | ऋदम का गुस्से से उसके गाल को मसलने से वह ठीक से सांस तक ले नही पा रही थी ,उसका पूरा चेहरा आंसुओ से भीगने लगा था ,लेकिन ऋदम उस पर रहम नहीं कर रहा था | उसका एक हाथ कसक के बाजू में कस गया था तो दूसरा कसक के गाल पर,वह बस गुस्से से उसी गाल को घूर रहा था जिसे आशुतोष ने छुआ था |

करीब दस मिनट बाद कैबिन में ऋदम का फोन रिंग होने लगा | इस आवाज पर ऋदम रुक गया लेकिन उसका गुस्सा अभी भी उसके चेहरे पर खायम था ,वह कसक के नम आंखों में बेहद गुस्से से घूरने लगा था |

वही कसक अब तक पूरी तरह सुन्न हो गई थी | उसका एक गाल ऐसे लाल हो गया था, जैसे उस पर बेरहमी से किसी ने बहुत बार हाथ उठाया हो | वह अपने मरी हुई आवाज में बोली,""_ आपमें जरा भी इंसानियत ही नही है ऋदम....,आ..आप मेरे साथ.... आह्ह्ह्ह्ह | "

कसक अपनी बात पूरा करती उससे पहले ही ऋदम उसके चेहरे को कसके पकड़ कर उसे अपने करीब कर ,दांत भींचते हुए कहा ,""_ तुमने उन्हे खुद को छुने कैसे दिया कसक ? क्या तुम मेरे कही हुई बातों को भूल गई हो ? या फिर मेरे सालों तक गायब रहने से तुममें अब मेरा खौफ ही नही रहा ? Hmm ? "

ऋदम का पकड़ कसक के चेहरे पर कसते ही जा रहा था | कसक दर्द से छटपटाते हुए ऋदम से छुटने की कोशिश करने लगी,लेकिन उसके दिमाग में चार साल पहले ऋदम के साथ बिताए हुए अंधेरे रात का हर एक दर्दनाक मंजर घूमने लगा था | उस वक्त ऋदम की कही हुई एक एक शब्द और उसके दिए हुए दर्द ..? आज भी उसके अंदर ताज़ा ही थे |

" मैने तुम्हे कहा था ना कसक,तुम्हारे यह होंठ सिर्फ मुझे चूम सकती है ? फिर तुमने उस बच्चे के गाल पर इन्हे रखा कैसे ? " डर से कांपते हुए बेड पर लेटी कसक के शरीर को पूरी तरह अपने बाहों में बरेहामी से दबोच कर ,बेहद ठंडे लहजे में ऋदम ने कसक से पूछा |

कसक सेहमी नजरों से ऋदम को देख रही थी | बिना शर्ट के अपने ऊपर लेटे ऋदम का ओरा एक दम काला पड़ा था ,और वह कसक के चेहरे पर गिरे लटो से खेलते हुए कसक के जख्मी होंठो को, गहरी नजरो से घूर रहा था |

कसक के गुलाबी होंठ पूरी तरह खून से सने हुए थे | और हर तरफ सिर्फ दांतो की निशान ही नजर आ रहे थे |ऋदम ने ही बेरहमी से काट कर उसके होंठो को जख्मी कर दिया था ,सिर्फ इसीलिए की उसने आज एक 8 साल के बच्चे के गाल पर किस किया था |

धीरे से कसक ने अपने नम आंखों को नीचे झुका ली,फिर अपनी कपकपाहट भरी आवाज में बोली,""_ मैं.... मैं आगे से ध्यान रखूंगी....? "

"तुम्हे ध्यान रखना ही होगा कसक,ना तुम किसी को छु सकती हो और नाही तुम्हे कोई छुएगा,वरना मुझे और मुझसे दिए हुए दर्द को झेलने के लिए तैयार रहो | " कसक को ले कर पलटते हुए ऋदम ने एक एक शब्द पर भी जोर देते हुए कसक से कहा |

कसक डर से चुपचाप अपना सर हिलाई ,इस इंसान को झेलना मौत का सामना करने के बराबर था | वह इंसान के नाम पर एक हैवान था |

" मैं कुछ पूछ रहा हु कसक ? कहा खोई हो तुम ? " कसक को कही खोया हुआ देख ऋदम बेहद गुस्से से उसे झगझोरते हुए कहा |

कसक ऋदम को देखते हुए अपने ही ख्यालों में गुम हो गई थी | चार साल बाद ऋदम आज सुबह ही अब्रॉड से इंडिया लौटा हुआ था | और चार साल पहले वह जिस तरह उसे बेरहमी से दर्द देता था, आज भी वह वैसा ही दिया था | वह इंसान के नाम पर सच में राक्षस था |

कैबिन में अभी भी ऋदम का फोन बज रहा था | लेकिन ऋदम का ध्यान सिर्फ कसक पर था,जो उसे जवाब देने के बजाए चुपचाप उसे सेहमी नजरो से देख रही थी |

ऋदम ने धीरे से मगर अपने दांत टटोरते कहा ,""_ तुम मुझे सुन भी रही हो कसक ? "

कसक धीरे से अपना सर हिलाते ऋदम के हाथो को अपने चेहरे से हटाई,फिर अपने आंसू पोंछते हुए बोली,""_ अगर आपका मुझे दर्द देना हो गया हो तो डोर खोलिए ,मुझे जाना है | "

कसक की बात पर ऋदम कुछ कहता की तभी कैबिन का डोर जोर जोर से नॉक होने लगा |

कसक हैरानी से मुड़ कर डोर के तरफ देखने लगी तो वही ऋदम कसके अपने आंखे एक पल बंद करा | फिर गुस्से से जा कर कैबिन के डोर ओपन करा |

सामने एक लड़का बेसब्री से डोर खुलने का ही इंतजार कर रहा था | जैसे ही उसने ऋदम को देखा ,वह उससे लिपटते हुए कहा ,"" _ ऋदम....,तुमसे मिलने मैं कब से मरे जा रहा हु और तुम ना कॉल पिक कर रहे हो और नाही डोर.....! "

वह लड़का बोलते बोलते रुक गया,क्यों की उसकी नजर कसक पर जा रुकी थी | कसक जो अपने आंसू पोछते हुए वहा से जाने लगी थी |

उस लड़के को अब समझ आ गया की ऋदम ने उसका कॉल पिक क्यों नहीं किया था ? वह ऋदम से अलग होते हुए पूछा ,""_आते ही उसे रुला दिया ? "

उस लड़के का सवाल सुन ऋदम ने उसे बुरी तरह घूरा फिर जा कर अपने रिवोलिंग चेयर पर बैठ गया |

कसक ऋदम के कैबिन से बाहर जा चुकी थी | वही वह लड़का जो ऋदम का बचपन का दोस्त अश्वीर था |

ऋदम कसक के लिए हद से ज्यादा ऑब्सेस्ड था ,उसे यह भी बर्दाश्त नही था की कसक के बारे में उसका दोस्त एक बात तक करे, या उसके नाम तक ले | अश्विर इन सबसे अंजान नही था,तो उसने बात को बदलते हुए ऋदम से पूछा,""_ एयरपोर्ट से सीधे तुम ऑफिस क्यों चले आए ? "

" क्यों की ऑफिस में मेरा कोई इंतजार कर रहा था | " अपना सर चेयर को टिकाते हुए ऋदम ने धीमी आवाज में कहा |

अश्वीर को अच्छे से समझ आया था की ऋदम किसकी बात कर रहा है ? वह अपने चेहरे पर ट्विस्टेड स्माइल लिए ऋदम से कहा ,""_ इंतजार ? वह भी तुम्हारा ? Are you mad ? तुम्हारा यहां सिर्फ चाचाजी इंतजार कर रहे थे ,वह तो बस उनके साथ मजबूर हो कर आई थी | "

ऋदम थोड़ी देर खामोश रहा,फिर अपने लैपटॉप ओपन करते हुए थोड़ा चीड़ कर उससे कहा ,""_ तुम्हारा यह ज्यादा सच बोलने का आदत,मुझे हमेशा की तरह आज भी इरिटेट कर रहा है वीर,just get out from here |

अश्वीर के होंठो पर टेढ़ी स्माइल आ गई | लेकिन उसे अंदर ही अंदर कसक के लिए बुरा लग रहा था | क्यों की उसने कसक के चेहरे को गौर से देखा था,उसका वह गाल पूरी तरह अब सूझ गया था | और अश्वीर को समझ भी आ गया था की यह ऋदम की वजह से ही हुआ है |

शाम का वक्त.....,

अग्निवंशी मेंशन.....,

मेंशन का माहौल ज्यादा ही खुशनुमा था | और मेंशन को इस वक्त पूरी तरह सजाया भी जा रहा था |

वही हाल में एक मिडल एज के औरत अपने दोनो हाथो को आपस में उलझा कर अजीब तरह से रब करते हुए, कभी बेचैनी से घड़ी के तरफ देख रही थी तो कभी मैन डोर की तरफ ,ऐसा लग रहा था की वह किसी का बेसब्री से आने का इंतजार कर रही हो |

" बड़ी मां ..,बड़ी मां.....भाई आ गए | " सीढियों से उतर कर आते हुए एक 21 साल की लड़की खुशी से चिल्लाते हुए नीचे आई |

वही वह औरत जो ऋदम की मां फाल्गुनी थी ,वह कब से यह खबर सुनने के लिए तरस रही थी | वह जल्दी से उस लड़की से बोली,""_ अंशी बच्चा,जाओ जा कर पारुल को आरती का थाल लाने कहो | "

फाल्गुनी की बात मानते हुए वह लड़की अंशिका, जो ऋदम के छोटे पापा सूर्या अग्निवंशी की बेटी थी,वह सीधे किचन के तरफ जाने लगी,लेकिन तभी किचन से उसकी मां पारुल आरती के थाल लिए आते हुए बोली,""_ मैंने पहले ही आरती का थाल सजा कर रखा था दी,बस ऋदम ने ही आने में देर कर दी | "

फाल्गुनी मुस्कुराते हुए उसके हाथ से वह थाल ली,फिर सीधे मैन डोर के तरफ चली गई | और उसके पीछे पीछे अंशिका ,उसका बड़ा भाई ईशान,पारुल,और स्टडी रूम से अभी अभी बाहर निकले ऋदम के दादाजी शत्रुग्न अग्निवंशी,और उनके साथ ही ऋदम के डैड अभय,और ऋदम के छोटे पापा अनंत,आशुतोष की बीवी श्रेया,और उनकी बेटी नेहा सभी लोग एक साथ मैन डोर के तरफ चले गए |

वही मेंशन के बाहर एक ब्लैक कार आ कर रुक गई थी | कार के पैसेंजर सीट पर बैठे अश्वीर बहार आ कर,कार के बैक सीट का डोर खोला |

अपने चहरे पर बिना कोई भाव लिए ऋदम कार से बाहर आ कर , अश्विर के साथ अंदर जाने को हुआ की तभी उसे मेहसूस हुआ की उसके दिल में अजीब सा हलचल सा हो रहा है |

वह रुक कर ,अपना सर थोड़ा टेढा किया,तो उसकी नज़रे एक लड़की पर गई,जो गार्डेन एरिया में रखे हुए बेंच पर बैठी थी |

उस लड़की के चेहरे पर कोई नूर नही था ,बस खालीपन से वह आसमान को देख रही,जो धीरे धीरे अब काले रंग में बदल रहा था | वह कोई और नही कसक थी |

ऋदम के आने की खुशी में पूरी मेंशन में हलचल मचा था | लेकिन कसक चुपचाप ऐसे बैठी थी,की जैसे उसका वहा हो रही किसी भी चीज से कोई नाता ना हो | सच में उस परिवार के किसी भी सदस्य से उसका कोई नाता नहीं था,लेकिन वह उसी मेंशन में रहती थी या यू कहे की सिर्फ उसके रात ही वहा ज्यादा गुजरती थी |

ऋदम कसक पर नजरे गड़ाए,अपने जगह में ही खड़ा था की तभी वीर ने ताना मारते हुए कहां,""_ इतनी गहरी नजरे तुम्हे उस पर थोड़ी देर बाद डालना चाहिए ऋदम,अभी तो बस शाम ही तो हुआ है "

ऋदम अपने दांत किटकिटाते हुए वीर को घूरा ,वीर के चेहरे पर उसे चिड़ाने वाली गंदी तरह का मुस्कान था |

" ऋदम.......ऋदम बेटा !! "

तभी फाल्गुनी की भारी मगर लड़खड़ाती आवाज उन दोनो के कान में गूंजी |

ऋदम और वीर दोनो ही सामने देखने लगे |

फाल्गुनी अपने आंखो में नमी लिए एक टक ऋदम को देख रही थी | लेकिन ऋदम की आंखे छोटी हो गई थी ,वह फाल्गुनी के पास खड़े अभय को घूरते हुए कहा ,""_ मां रो क्यों रही है डैड ? आपने कुछ ..? "

अभय की बाहें तन गए | वह गुस्से से कुछ कहते,उससे पहले ही अंशी बोली,""_ भाई,आप बड़े पापा पर ऐसे कैसे इल्जाम लगा सकते है ? बड़ी मां आपकी वजह से रो रही है | "

बोलते हुए अंशी का मुंह बन गया था,और वह सीधे जा कर अभय के गले भी लग गई थी | क्यों की अभय उसके लिए ऋदम से भी ज्यादा मायने रखता था |

अंशी की बात पर ऋदम कुछ कहता फाल्गुनी बेचैनी से बोली,""_ ऋदम ,इधर आओ मुझे तुम्हे जल्दी से गले लगाना है | "

ऋदम हल्के से स्माइल करते हुए फाल्गुनी के पास जा कर ,पहले आरती की थाल लेते हुए कहा ,""_ आप पहले मेरे गले लग जाइए,फिर आरती उतार लीजिए | "

फाल्गुनी बोली,""_ नही नही बच्चा,तुम पूरे चाल साल बाद लौट रहे हो मुझे....,मुझे पहले आरती करने दो | "

बोलते हुए फाल्गुनी ऋदम के पहले आरती उतारी,फिर पारुल के हाथ में आरती का थाल पकड़ा कर ऋदम के गले लग गई |

ऋदम के आने से वहा हर कोई खुश था | ऋदम सबसे मिलते हुए शत्रुग्न के पास गया | उनके आंखो में ऋदम को देख अजीब तरह के इमोशंस थे ,जो ऋदम को अच्छे से समझ भी आ गया था |

वह टेढ़ी स्माइल करते हुए जा कर उनके गले लग गया |

दूसरी तरफ.....

रश्या के एक आलीशान विला के हाल में बैठे एक लड़का सिगरेट का लंबे लंबे कश भरते हुए गुस्से से अपने सामने खड़ी लड़की को घूर रहा था ,जो उसकी पर्सनल असिस्टेंट थी |

" बॉस....बॉस वह अंडरवर्ल्ड का किंग है ,उसकी ऐसी कोई कमजोरी नहीं है जो हम उसका फायदा उठा सकते है | " उस लड़की ने अपने बॉस को लड़खड़ाती आवाज में धीरे से कहा |

असिस्टेंट की बात पर वह लड़का थोड़ी देर खामोश रहा,फिर उठ कर असिस्टेंट के करीब जाते हुए कहा ,""_ कमजोरी..? दुनिया में ऐसा कोई इंसान पैदा ही नहीं हुआ है, जिसका कोई कमजोरी ना हो | "

" अअह्ह्ह्ह..... हिस्स....!! " अचानक से वह लड़की दर्द से कराह उठी, क्यों की वह लड़का अपने होंठो के बीच दबी सिगरेट को उस लड़की के गर्दन में मसलते हुए बुझा रहा था |

दर्द से उस लड़की की आंखे भींच गए थे | तभी वह लड़का जिसका नाम व्योम सिंघानिया था,वह उसे कमर से पकड़ कर अपने तरफ घुमाया फिर उसके गर्दन को देखते हुए कहा ,""_ ज्यादा जलन हो रहा है एंजल ? "

उस लड़की का नाम एंजल मल्होत्रा था | वह व्योम की असिस्टेंट थी लेकिन साथ वह उसकी एक्स बीवी भी थी |

एंजल ने धीमी आवाज में कहा ,""_ मै....? मै उसके बारे में और अपडेट्स निकालने की कोशिश करती हू | "

व्योम उसके गाल पर अपने एक उंगली सरकाते हुए बेहद सरकास्टिक वे में कहा ,""_ अगर इस बार अच्छी खबर नही मिली तो तुम...? "

" मैं समझ गई बॉस...!! " व्योम की बात को बीच में ही टोकते हुए एंजल ने कहा |

व्योम के होंठो पर एविल स्माइल आ गया था | उसने बस सर हिलाया तो एंजल वहा से बाहर चली गई |

इंडिया में ......,

अग्निवंशी निवास.....

घर के सभी लोग डाइनिंग एरिया में थे | चार साल बाद ऋदम इंडिया लौटा था तो आज उसके पसंद के ही खाना बनाया गया था |

सभी लोग वहा खुशी खुशी डिनर कर रहे थे ,लेकिन ऋदम की नजर बार बार डोर के तरफ जा रहा था | वहा हर कोई मौजूद था लेकिन उसकी कसक नही थी | वह तो अभी तक घर के अंदर ही नही आई थी |

सामने हेड चेयर पर बैठे शत्रुग्न की नजर कसक को ही ढूंढ रहे थे | उन्होंने कहा ,""_ कसक कहा रह गई ? सुबह से हमने उसे देखा ही नही ? "

ऋदम की आने से किसी का ध्यान कसक पर गया ही नहीं था | सभी लोग आस पास अपने नजरे दौड़ाते हुए कसक को ढूंढने लगे लेकिन श्रेया और नेहा की चेहरे के हाव भाव थोड़ा बिगड़ गए थे, जैसे उन्हे इस वक्त कसक का जिक्र सुन बिलकुल अच्छा ना लगा हो |

तभी अंशी बोली,""_मुझे लगता है कसक रूम में है, मैं अभी बुला लाती हु | "

तभी श्रेया उसे रोकते हुए बोली,""_ अंशी बच्चा,ऐसे खान बीच में छोड़ कर कोन उठ जाता है ? तुम बैठ कर खाओ, मैं कसक के लिए बाद में रूम में खाना भेज दूंगी | "

श्रेया की बात पर अंशी ने बस सर हिलाया,फिर बैठ कर अपना खाना खाने लगी |

वही ऋदम के गले में एक निवाला नही उतर रहा था | वह थोड़ी देर खामोशी से प्लेट को घूरता रहा ,फिर उठते हुए फाल्गुनी से कहा ,""_ मां,मेरा अभी खाने का बिल्कुल मन नही है, आप बाद में मेरे लिए खाना रूम में ही भेज दीजिएगा | "

इतना बोल कर ऋदम उठ कर सीधे लिफ्ट से कर अपने रूम के तरफ चल पड़ा |

रूम में जाते ही ऋदम अपने फोन निकाला कर विंडो के पास गया ,फिर गार्डन में बैठी कसक को घूरते हुए उसका नंबर डायल किया |

कसक जो चुपचाप बैठी थी,उसका ध्यान अपने फोन पर गया ,कॉल ऋदम का था |

कसक ने पहले फोन को साइलेंट करा,फिर उठ कर सीधे रूम के अंदर चली गई |

Precap

कसक अपने नजरे झुका कर ऋदम के सामने खड़ी थी | उसके दोनो हाथो की मुट्ठी भींच गई थी लेकिन उसके हाथो पर ऋदम के उंगलियां तिरकन कर रहे थे | तो वही ऋदम के होंठो कसक के गाल पर सरक रहा था |

क्या होगा आगे इस कहानी में जानने के लिए पढ़ते रहिए ,

" Dark Intentions Of My Beast husband "

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